20 दिन में 21 देशों में फैला मंकीपॉक्स, भारत में फैलने का कितना खतरा, जानिए WHO क्यों दे रहा चेतावनी

2 साल से भी ज्यादा समय से दुनियाभर में कोरोना महामारी जारी है, अब एक और बीमारी का सामने आ जाना चिंता का विषय है. कोरोना से उबरने में दुनिया को अब भी समय लग रहा है ऐसे में एक और महामारी अपने पैर पसारने लगी है. ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस इटली और कई देशों में मंकीपॉक्स बीमारी अपना कहर बरसा रही है. विश्व स्वास्थय संगठन ने चेतावनी दी है कि इस बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए. WHO का कहना है कि इस बीमारी का कोई भी केस मिलता है तो उसे आउटब्रेक मान लिया जाए. आईए अब जानते हैं कि इस बीमारी के लक्षण क्या हैं?, यह बीमारी तेज़ी से क्यों फैल रही है? और भारत में इससे निपटने की किस तरह की तैयारी है?

इन देशों में फैल चुका है मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स सबसे ज्यादा यूरोप में अपने पैर तेज़ी से पसार रहा है. हालांकि, दूसरे देशों में भी यह बीमारी फैल रही है. 20 दिनों में 21 देशों में मंकीपॉक्स के केस सामने आ चुके हैं. इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, स्वीडन, स्पेन, पुर्तगाल, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, इज़रायल, कनाडा, नीदरलैंड्स, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, स्विट्ज़रलैंड आदि देश शामिल हैं.

इसलिए तेज़ी से फैल रहा है मंकीपॉक्स

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कोई भी संक्रमण में बहुत छोटे जीवित पार्टिकल होते हैं, इन्हें रोक पाना काफी मुश्किल होता है. यह वायरस जानवरों और इंसानों के संपर्क से फैल सकता है. बता दें कि संक्रमण का ट्रांसमिशन रेट 3.3 फीसदी से 30 फीसदी तक है. लेकिन, हाल की रिपोर्ट में सामने आया है कि ये वायरस कांगों में 73 फीसदी से
फैल रहा है. ये संक्रमण कटी-फटी त्वचा, श्वास नली या आँखों, नाक या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है.

चेचक के टीके मंकीपॉक्स में कारगर

यह संक्रमण किसी संक्रमित व्यक्ति या उसके कपड़ों या चादरों के संपर्क के माध्यम से फैल सकता है. ये यौन जनित संक्रमण से फैल सकता है या नहीं, इसका दस्तावेज़ीकरण नहीं किया गया है. इस बीमारी के फैलने पर लोगों को अस्पताल में भर्ती होने तक की नौबत नहीं आ रही है. हालांकि कुछ हफ्तों के भीरत लोग इस संक्रमण से ठीक हो रहे हैं. खात बात यह है कि चेचक के खिलाफ टीके मंकीपॉक्स को रोकने में प्रभावी हैं. कुछ एंटीवायरल दवाएं भी अभी विकसित की जा रही हैं.

जानिए क्या है मंकीपॉक्स बीमारी?

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मंकीपॉक्स चेचक की बीमारी की तरह ही है. यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण है. इसका पहली बार पता 1958 में चला था. बता दें कि इसका पहला केस 1970 में सामने आया था. यह संक्रमण मुख्यत: पश्चिम अफ्रीका और मध्य अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है. यह पॉक्सविरिडे परिवार से संबंधित है. इसमें चेचक और इसके संबंधित रोग पैदा करने वाले वायरस आते हैं.

ये हैं इस बीमारी के लक्षण

इस बीमारी के होने पर इंसान में कई तरह के लक्षण पाए गए हैं. ये लक्षण आमतौर पर दो से चार हफ्ते रह सकते हैं. इसके गंभीर लक्षण व्यक्ति की जान भी ले सकते हैं. इसके मुख्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सूजन, ठंड लगना, थकावट और त्वचा पर चेचक जैसे दाने निकलना शामिल है. हाल ही में इसकी मृत्यू दर करीब 3-6 फीसदी रही है.

मंकीपॉक्स से बचने के लिए भारत की क्या है तैयारी?

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केंद्र सरकार ने विदेशों में बढ़ते मामलों को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया है. यह अलर्ट नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को जारी किया गया है. जो भी व्यक्ति मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा करके भारत लौटा है उसकी जांच करके तुंरत आइसोलेट करने के निर्देश दिए गए हैं. यदि यात्री को मंकीपॉक्स के लक्षण हैं तो उसे आइसोलेट किया जाएगा. साथ ही सैंपल की जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में भेजा जाएगा.

क्या है इस बीमारी का इलाज?

जैसे कोरोना की बीमारी से ठीक होने का कोई अचूक इलाज नहीं है वैसे ही मंकीपॉक्स का भी अभी कोई पक्का इलाज नहीं मिला है. कहा जा रहा है कि ये बीमारी चेचक की तरह है तो इसलिए चेचक में उपयोग किए जाने वाले टीकों में मंकीपॉक्स से सुरक्षा प्रदान हो सकती है. और भी संबंधित टीके विकसित किए जा रहे हैं. इनमें से एक टीके को इस रोग की रोकथाम के लिए बेहतर माना गया है. डब्ल्यूएचओ ने चेचक के इलाज के लिए बनाया गया एक एंटीवायरल एजेंट को भी मंकीपॉक्स के इलाज के लिए मंज़ूरी दी है. अब आगे देखना यह होगा कि यह टीके कितने प्रभावकारी होंगे. और क्या कोरोना के जैसे ही यह बीमारी अपना ढेरा जमा लेगी या इसका पक्का इलाज हासिल करके इसे खत्म किया जाएगा.

नोट- यह भी कहा जा रहा है कि इस संक्रमण में बच्चों का ज्यादा ध्यान रखने की ज़रूरत है, क्योंकि यह संक्रमण अधिकतर बच्चों को अपना निशाना बना रहा है.

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