इस तरह की सोच कर सकती है बीमार, जानिये इनसे बचने का तरीका

नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को…..
उपरोक्त पंक्तियाँ मैथली शरणगुप्त की कविता के अंश हैं जिसके माध्यम से कवि हमें जीवन में आशावादी होने की सीख देता है. जी हाँ, दोस्तों यदि हमें अपने जीवन को सार्थक और खुशहाल बनाना है तो आशावादी होना पड़ेगा और आशावादी होने के लिये हमें अपनी सोच को सकारात्मक रखना होगा. क्योंकि नकारात्मक विचार कई समस्याओं का कारण बन सकते हैं जैसे कि एंग्जाइटी, डिप्रेशन, स्ट्रेस और आत्मविश्वास में कमी आदि. हमारे विचार, इमोशंस और व्यवहार सभी एक दूसरे से जुड़े होते हैं. इसलिए हमारे विचार इन बातों पर प्रभाव डालते हैं कि हम क्या सोच रहे हैं और क्या कर रहे हैं. हम सभी के मन में कभी न कभी नकारात्मक विचार आते हैं. लेकिन ऐसी स्थिति में संतुलन बनाते हुये हमें अपने नकारात्मक विचारों को बदलने की कला सीखनी चाहिये.
नकारात्मक सोच हमें बीमार कर सकती है?
हेल्थलाइन के अनुसार हमारे शरीर के बाहरी जख्मों, जैसे कि उंगली पर चोट लगना इत्यादि का उपचार आसानी से किया जा सकता है. लेकिन, मेंटल प्रॉब्लम्स ऐसी समस्या है, जिसका पता आपको तब तक नहीं चलता, जब तक कि वो आपके जीवन को प्रभावित न करने लगे. नकारात्मक विचार एंजाइटी, डिप्रेशन, स्ट्रेस जैसी समस्याओं का कारण बनते हैं. अगर समस्या अधिक बढ़ जाए, तो इनका प्रभाव हमारे शरीर पर भी पड़ता है. डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम आदि का एक बड़ा कारण स्ट्रेस को भी माना जाता है.
नकारात्मक सोच से बचने का तरीका
नकारात्मक विचार से बचने और सकारात्मक विचार के प्रति फोकस करने के तरीके निम्न प्रकार हैं:
-सकारात्मक सोचें और अपनी नकारात्मक सोच को बदलने की कोशिश करें.
-स्वयं का साथी बनें और अपने जीवन की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करें.
-दिमाग में आये नकारात्मक विचारों को लिखकर उन्हें चिन्हित करें और इनसे बचने की पूरी कोशिश करें
-योग व ध्यान के साथ नई और अच्छी आदतों को अपनाएं.
-अपने विचारों को अपने करीबी लोगों से शेयर करने की कोशिश करें.