इस स्वभाव के लोगों को ज्यादा आता है हार्ट अटैक! भूल से भी न करें ये चीज़ें.
आजकल हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट के केस बढ़ रहे हैं. बूढ़े और जवान दोनों में ही हार्ट प्रॉब्लम आम होती जा रही है. बहुत से लोग ये मानते हैं कि हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई बीपी, मोटापे, धुम्रपान और शराब का सेवन करने वालों में यह खतरा ज्यादा होता है. लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि हार्ट अटैक की एक दूसरा वजह व्यक्ति का स्वभाव या पर्सनालिटी भी होता है.
पालो ऑल्टो मेडिकल फाउंडेशन में इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर रोनेश सिन्हा के अनुसार, जब कोई व्यक्ति बेसब्र, आक्रामक और बहुत ज्यादा कंप्टेटिव होता है तो इसे A पर्नैलिटी कहते हैं. ऐसे पर्नालिटी वाले लोगों में हार्ट अटैक का खतरा सबसे ज्यादा होता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि बिना टाइप Aव पर्नैलिटी वाले लोगों में हार्ट अटैक नहीं होता. कई बार तनाव, अवसाद, ज्यादा सोचना, घबराना, कंफ्यूज रहने से भी हार्ट संबंधी परेशानियाँ शुरू हो जाती हैं जो सीधा कार्डिएक अरेस्ट का कारण बनती हैं. आइए जानते हैं टाइप ए न होने पर भी और किन कारणों से इसका खतरा बढ़ जाता है-
समय का दवाब-
जब आपके ऊपर काम समय पर खत्म करने या टार्गेट पूरा करने का प्रेशर बढ़ जाता है तब इससे आपकी हार्ट हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है. डॉ. के मुताबिक, अगर आप इम्पेशंट, एग्रेसिव या बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धी ना हो फिर भी कई बार किसी की डिमांड को पूरा करने के लिए आपके ऊपर काफी ज्यादा दबाव बढ़ जाता है जिससे हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ता है. तो अगर आप स्ट्रेस को कम करना चाहते हैं तो काम को प्राथमिकता के आधार पर करें.
मल्टीटास्किंग-
कई लोग ऐसे भी होते हैं जो एक पंथ दो काज करते हैं, या यूं कहें कि बहुत से लोग एक ही समय में कई कामों को एक साथ कर लेते हैं. हालांकि, मल्टीटास्किंग होने से हार्ट प्रॉब्लम का खतरा नहीं बढ़ता लेकिन इससे आपका स्ट्रेस बढ़ सकता है जिसका सीधा संबंध हार्ट के खतरे से जुड़ा हुआ होता है.
इमोश्नल –
बहुत से लोगों में खासतौर पर पुरुषों में ये देखा गया है की वे अपने इमोशंस जैसे गुस्से और निराशा को किसी के सामने व्यक्त नहीं करते हैं. जिससे तनाव, डिस्अपॉइंटमेंट बढ़ जाता है. मन खराब रहने लगता है. जिससे हार्ट हेल्थ पर असर पड़ता है और हार्ट डिसीज होने का खतरा रहता है. अगर आप अपनी भावनाओं को अपने पार्टनर या परिवार के साथ व्यक्त नहीं करते हैं तो यह ज़रूरी है कि आप अपने दोस्तों को या थैरेपिस्ट को अपनी बातें शेयर करें. इससे आप निराशा से बाहर आ सकेंगे
स्ट्रेस लेवल को कम करने में करते हैं ये टिप्स मदद-
ना कहना सीखें- अगर आपको किसी चीज को लेकर काफी स्ट्रेस में हैं तो कोई भी काम जबरदस्ती करने से बचें, फिर चाहे वो ऑफिस का काम हो या कोई और. कुछ समय तक अपने आप को रिलैक्स छोड़ दें.
रिलैक्स रहें- जब भी आप किसी कारण से तनाव से जूझ रहे हों तो कोशिश करें कि धीरे-धीरे चलें, बात धीरे करें और गहरी सांसे लें.
योग या मेडिटेशन करें- अपने दैनिक जीवन में मेडिटेशन और योग को शामिल करें. यह आपके दिमाग को शांत रखने में काफी मदद कर सकता है.