म्युचुअल फंड में मिलेगा प्रॉफिट या शेयर बाज़ार से मारेंगे छलांग, जानिए कैसे और किसमें करें निवेश

पैसों का निवेश करने से पहले हमारे मन में कई तरह के सवाल ज़रूर आते हैं. जैसे पैसा कहाँ लगाना बेहतर होगा, शेयर मार्केट में या म्युचुअल फंड्स में. कितने दिन और कब तक पैसा लगाना ठीक होगा? शेयर में निवेश करें या फंड में? आईपीओ में निवेश करना कहीं गलत निर्णय न हो? म्युचुअल फंड में निवेश के लिए किसी शेयर का चयन कैसे करूं? कितने शेयर और कितनी स्कीमों में निवेश करना सही होगा? इत्यादि. आज हम आपके इन्हीं कुछ सवालों के जवाब लेकर आए हैं. इसकी मदद से आप फैसला कर पाएंगे कि आपको किसमें कितना निवेश करना चाहिए. चलिए जानते हैं

पैसा कहाँ लगाना है बेस्ट – म्‍युचुअल फंड या शेयर मार्केट में?

कोई भी निवेश करने से पहले ये प्रश्न मन में ज़रूर उठता है कि पैसा कहाँ लगाना बेस्ट रहेगा. इसका जवाब है कि आपको शेयर मार्केट के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए. आप अर्थव्यवस्था के संकेतों को समझते हों. आप कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट, बैलेंस शीट और प्रोफिट-लिस्ट स्टेटमेंट समझ पाते हों. आप खुद से ही किसी शेयर से संबंधित रिसर्च करने में माहिर हों. आप नियमित समय पर अपने निवेश की कीमत का मूल्यांकन खुद कर पाते हों. और सबसे ज़रूरी, आपके पास यब सब रिपोर्ट की जानकारी, मार्केट या किसी स्टॉक से संबंधित रिसर्च करने और उसको मॉनिटर करने के लिए आवश्यक समय हो. यदि आप में इन सभी चीज़ों को करने की क्षमता है और आप शेयर मार्केट से संबंधित सभी जानकार रखते हों तो आपको शेयर मार्केट में ही निवेश करना चाहिए. नहीं तो आपके लिए म्युचुअल फंड्स बेस्ट रहेगा.

म्युचुअल फंड्स

म्युचुअल फंड की हर स्कीम के लिए एक अलग फंड मैनेजर होते हैं जिसकी एक पूरी टीम होती है. ये टीम रिसर्च करके और निवेश संबंधित सभी फैसले लेती है. ये लोग नियमित अंतराल पर निवेशक यानि आपसे रिपोर्ट शेयर करते हैं, और इसके अलावा आप जब चाहें अपने निवेश की करंट स्थिति देख सकते हैं.

कब लगाएं पैसे?

टाइमिंग निवेश में बहुत अहम भूमिका निभाती है. खासकर शेयर मार्केट में. मार्केट या स्टॉक को निचले स्तर पर खरीदना और ऊंचे स्तर पर बेचना ही मुनाफे की रेंज घटाता या बढ़ाता है. फिर भी, हर बार किसी निवेशक या ट्रेडर के लिए बिल्कुल निचले स्तर पर खरीदना और ऊंचे स्तर पर बेचना संभव नहीं हो पाता है. इसलिए, ये समझना ज़रूरी है कि आप जिस भी मार्केट या शेयर में निवेश करने जा रहे हैं वो गिरावट में तो नही है. म्युचुअल फंड के केस में मामला थोड़ा अलग हो जाता है. इसमें आप टाइमिंग के खेल से बच जाते हैं. क्योंकि इसमें आपकी साइड से ये फैसला एक्सपर्ट की टीम लेती है.