कौन सा मास्क है सुरक्षित और क्या मास्क धोने से हो जाता है खराब? जानें मास्क से जुड़े सवाल

कोरोना के संक्रमण के बीच लोगों को पूरी सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है और लोग लगातार जो भी जरूरी बचाव हैं, उन्हें कर भी रहे हैं. इससे बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और दो गज की दूरी शुरूआती जरूरी उपाय है.आपने देखा होगा कि कई लोग सर्जिकल तो कई कपड़े से बने मास्क भी पहनकर घूमते हैं. N95 Mask के अलावा आपने कई लोगों के चेहरे पर KN95 लिखे हुए मास्क भी देखे होंगे.
यह सवाल ज्यादातर लोगों को जेहन में चलता रहता है. मास्क जब भी खरीदें तो ध्यान रखें ये हमें पूरी सुरक्षा देता हो, सिर्फ फैशन या आरामदायक हो, ये सोचना काफी नहीं हैं. सबसे बड़ी बात है कि मास्क खरीदते समय ध्यान रखें की ये आपके चेहरे पर पूरी तरह फिट होना जरूरी है, अगर ऐसा नहीं है तो इसका कोई फायदा नहीं होता. फेसमास्क के कुछ और प्रकार भी हैं जो वायरस से बचाव करते हैं, जानिए कौन का मास्क कितनी सुरक्षा देता है.
कुछ मास्क एक बार के इस्तेमाल के लिए होते हैं, जबकि विशेषकर कपड़े से बने मास्क को कई बार प्रयोग में लाया जा सकता है. आपने भी अक्सर कपड़े के मास्क को धोकर इस्तेमाल किया होगा. तो क्या मास्क को धोना या साफ करने से अणुओं को फिल्टर करने की क्षमता प्रभावित हो जाती है? क्या मास्क को एक से अधिक बार प्रयोग में नहीं लाना चाहिए? आपके मन में भी इस तरह के सवाल जरूर आए होंगे.
यूएस स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के शोधकर्ताओं ने इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए अध्ययन किया. वैज्ञानिकों ने पाया कि रियूजेबल मास्क (कपड़ों के मास्क) को धोने और सुखाने से वायरल कणों को छानने की उनकी क्षमता कम नहीं होती है. मास्क को इस्तेमाल करने के बाद साफ कर लेना चाहिए, मास्क की अस्वच्छता के चलते कई अन्य प्रकार के संक्रमण का खतरा अवश्य हो सकता है.

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क्या कहते हैं शोधकर्ता?
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि मास्क को धोने या साफ करने से उसकी फिल्टरेशन क्षमता प्रभावित नहीं होती है. जर्नल एरोसोल एंड एयर क्वालिटी रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि सर्जिकल मास्क के ऊपर कॉटन का मास्क पहनने से कोरोना से और अधिक सुरक्षा मिल सकती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि अकेले कपड़े की तुलना में यह विधि अधिक सुरक्षात्मक हो सकती है, मास्क का चेहरे पर पूरी तरह से फिट होना बहुत आवश्यक है. अध्ययन के प्रमुख लेखक  मरीना वेंस कहते हैं, कॉटन के मास्क को धोकर कई बार प्रयोग में लाया जा सकता है.

बढ़ रहा है मेडिकल कचरा
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की शुरुआत से हर दिन अनुमानित 7,200 टन चिकित्सा अपशिष्ट निकल रहा है. डिस्पोजेबल मास्क के बढ़ रहे अपशिष्ट के संकट को देखते हुए वैज्ञानिकों की टीम ने कॉटन मास्क के एक से अधिक बार उपयोग और धोने के बाद इसकी प्रभाविकता के स्तर को जानने के लिए अध्ययन किया. कपड़े के मास्क को बार-बार धोने से उसके रेशे निकलने लगते हैं, ऐसे में क्या मास्क की प्रभाविकता कम हो जाती है? इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि इससे मास्क के फिल्टरेशन की क्षमता पर तो प्रभाव नहीं पड़ता है, हालांकि कॉटन के रेशे निकलने कारण इससे सांस लेने में दिक्कत जरूर हो सकती है. ऐसी स्थिति में मास्क को बदल लेना उचित रहता है.

मास्क का फिट होना सबसे आवश्यक
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि मास्क के साथ सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि इसका चेहरे पर अच्छी तरह से फिट होना जरूरी है. कोरोना के खतरे से बचे रहने के लिए सभी लोगों को ऐसे ही मास्क को प्रयोग में लाना चाहिए जो पूरी तरह से चेहरे को कवर करते हों. पिछले शोध से पता चलता है कि चेहरे पर ठीक से फिट न होने वाले मास्क के माध्यम से हवा में मौजूद 50 प्रतिशत कणों को अंदर जाने का खतरा हो सकता है.

कौन से मास्क हैं सबसे ज्यादा बेहतर?
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि कपड़े के मास्क, सर्जिकल मास्क की तुलना में कम सुरक्षात्मक हो सकते हैं. कॉटन के मास्क सबसे छोटे कणों आकार (0.3 माइक्रोन) को 23 प्रतिशत तक फ़िल्टर कर सकते हैं, ऐसे में वायरस के प्रवेश का खतरा बना रहता है. इसकी तुलना में सर्जिकल मास्क 42-88 प्रतिशत छोटे कणों के बीच फ़िल्टर कर सकते हैं. KN95 और N95 मास्क को वैज्ञानिक सबसे अच्छा मानते हैं, इसकी फिल्टरेशन क्षमता 83-99 प्रतिशत मानी जाती है.

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