क्या है कोव‍िड का म्यू वेरियंट, जानें डेल्टा वेरियंट से है कितना खतरनाक

कोरोना का खतरा लगातार लोगों पर बना हुआ है. कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया था. दूसरी लहर के बाद अब वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के अनुसार लोगों पर लगातार तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है. पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में तेजी भी होती दिख रही है. ऐसे हालातों के बीच में कोरोना के एक और नए वेरियंट ने लोगों की चिंता और भी अधिक बढ़ा दिया है.
जब से कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन की उत्पत्ति हुई है तब से यह वायरस कई बार म्यूटेट हुआ है. पहले अल्फा फिर डेल्टा, लाम्बडा अब शोधकर्ताओं ने एक नए वेरियंट की खोज की है, जिसे म्यू कहा जा रहा है. यह वेरियंट ना केवल तेजी से फैलता है बल्कि वैक्सीन के प्रभाव को भी कम कर सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह वेरियंट सबसे पहले जनवरी 2021 में कोलंबिया में पाया गया था. वहीं पिछले सात महीनों में 39 से ज्यादा देश इस भयावह वेरियंट के गिरफ्त में आ चुके हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है म्यू वेरियंट और यह अन्य वेरियंट से कितना ज्यादा खतरनाक है-

म्यू वेरियंट है कितना संक्रामक

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस वेरियंट को अच्छे से समझने के लिए अभी और भी अध्ययन की जरूरत है और इसे वरियंट ऑफ इंटरेस्ट करार दिया गया है. संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि, जनवरी 2021 में कोलंबिया में इसकी पुष्टि के बाद इसके कुछ ही मामले देखे गए थे. लेकिन बीते 7 दिनों में तेजी से फैलने के कारण यह चिंताजनक हो सकता है. वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय का एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार जनवरी में इसकी पुष्टि के बाद भी यह डेल्टा वेरियंट को पछाड़ता हुआ नहीं दिख रहा है.

वायरस क्यों होता है म्यूटेट

वायरस के एक अलग वेरियंट का जन्म तब होता है जब वायरस की मूल जीनोमिक संरचना में परिवर्तन होता है. समय के इसकी इसका विकास होना और बदलना कोरोना वायरस सहित अन्य वायरस के आरएनए की समान प्रकृति है. वायरस का म्यूटेट होना कोई नई बात नहीं है, फ्लू कोल्ड सहित अन्य वायरस भी समय समय पर म्यूटेट होते रहते हैं. इसलिए विशेषज्ञों द्वारा वायरस के नए वेरियंट से बचने के लिए हर साल फ्लू शॉट लेने की सलाह दी जाती है.

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वेरियंट के प्रकार

वायरस को आमतौर पर दो भागों में बांटा जाता है. पहला वेरियंट ऑफ कंसर्न यानि चिंताजनक वेरियंट और दूसरा वेरियंट ऑफ इंटरेस्ट है. म्यू वेरियंट को वेरियंट ऑफ इंटरेस्ट कहा गया है, इसका मतलब है कि कोरोना का यह वेरियंट अधिक खतरनाक हो सकता है. हालांकि अभी इस वेरियंट को लेकर वैज्ञानिकों द्वारा अध्ययन जारी है.

कोलंबिया में सामने आए इस नए वेरियंट के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ईटा, आयोटा, कापा और लाम्बडा को वेरियंट ऑफ इंटरेस्ट में रखा है. शुरुआती अध्ययनों के मुताबिक म्यू अपना भयावह रूप धारण कर सकता है और आने वाले दिनों में यह डेल्टा पर भी हावी हो सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वेरियंट ना केवल तेजी से फैलता है बल्कि यह वैक्सीन के प्रभाव को भी कम कर देता है.

क्या अभी और वेरियंट आ सकते हैं सामने?

अभी कोरोना वायरस के और अधिक वेरियंट के फैलने की आशंका वैज्ञानिकों द्वारा जताई जा रही है. आपको बता दें जैसे जैसे यह विभिन्न क्षेत्रों में फैलता है इसके नए वेरियंट सामने आते हैं. कुछ वेरियंट कम संक्रामक होते हैं, आते ही चले जाते हैं उनके बारे में किसी को पता नहीं चलता. वहीं कुछ अधिक भयावह होते हैं.

क्या अन्य वेरियंट पर भी वैक्सीन होगी कारगर

वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस में म्यूटेशन के कारण उसके स्पाइक प्रोटीन का अमिनो एसिड प्रभावित होता है. कोरोना जैसी भयावह बीमारी से बचने के लिए दी जा रही वैक्सीन को वायरस के मूल स्ट्रेन की जीनोमिक संरचना के अनुसार बनाया गया था. ऐसे में म्यूटेशन के कारण वेरियंट के स्पाइक प्रोटीन में बदलाव होने पर वैक्सीन अधिक कारगार नहीं होगी.

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