क्या है ‘हवाना सिंड्रोम’? जानिए इस रहस्यमयी बीमारी के लक्षण
आज हम आपको एक ऐसे सिंड्रोम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में सम्भवत: आपने पहले बहुत कुछ ना सुना हो. इस सिंड्रोम का नाम ‘हवाना सिंड्रोम’ है. हवाना सिंड्रोम एक अजीबो-गरीब बीमारी है, जिसमें जी मिचलाने, थकान और सर दर्द की शिकायत लगातार बनी रहती है. कुछ लोगों को चक्कर आते हैं और बदन दर्द भी रहता है. इससे ग्रसित लोगों में सुनने की क्षमता में कमी या फिर बहुत तेज आवाज सुनाई देने जैसे लक्षण भी देखे गए हैं. इसके अलावा आपको ये भी बता दें कि अभी भी इस बीमारी को लेकर रिसर्च जारी है.
हवाना सिंड्रोम का कैसे लगा पता?
हवाना सिंड्रोम (Havana Syndrome) पहली बार 2016 में क्यूबा में तैनात राजनयिकों में रिपोर्ट किया गया था. वहां 60 से ज्यादा अमेरिकी डिप्लोमैट्स, अधिकारी और जासूसों ने बिना सिर के चोट या बीमारी के सिरदर्द, मेमोरी लॉस, रोज रात को तेज आवाज सुनाई देना, नाक से खून, कान में दर्द या टिनिटस और मस्तिष्क संबंधी असामान्यताओं समेत दर्जनों ‘मनोवैज्ञानिक लक्षणों’ की शिकायत की थी. जिसके बाद सरकार और वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च का काम किया था.
एक बार फिर से हवाना सिंड्रोम चर्चाओं में है. वियतनाम के हनोई में यूएस की वाइस प्रेसिंडेट कमला हैरिस की तबीयत खराब होने के वजह से अचानक अजीबोगरीब लक्षण सामने आए. जिसमें उन्हें हवाना सिंड्रोम होने की बात कही जा रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार ने इस मामले की जांच के लिए कहा है. नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस (NAS) के मुताबिक यह बीमारी किसी रेडियो फ्रिक्वेंसी एनर्जी की वजह से हो रही है. यानी इन लोगों पर लगातार रेडियो वेव्स से हमला किया जा रहा है या फिर ये किसी रेडियो वेव्स वाली जगह पर लगातार काम कर रहे हैं.
हवाना सिंड्रोम के लक्षण
‘हवाना सिंड्रोम की शिकायत करने वाले रोगियों के अनुभव किए गए लक्षण को मेडिकली पुष्टि करने के बाद ये लक्षण सामने आए थे-
-एक या दोनों कानों में दर्द के साथ अचानक तेज आवाज सुनना.
– सिर में दबाव या कंपन महसूस होना.
– कान फोड़ देने वाली तेज आवाज सुनाई देना.
– सिरदर्द, चक्कर, मतली और थकान
– मेमोरी लॉस, अनिद्रा और कंफ्यूजन.
हवाना सिंड्रोम की वजह
शुरुआत में, एक्सपर्ट को शक था कि हवाना सिंड्रोम किसी जहरीले रसायन, कीटनाशक या दवा के आकस्मिक या जानबूझकर संपर्क में आने के वजह से हुआ है. हालांकि, जांच में प्रभावित लोगों या उनके घरों में ऐसी किसी चीज के होने का सबूत नहीं मिला. ऐसे में ऐसी संभावना जताई गई कि हवाना सिंड्रोम के पीछे किसी प्रकार का यांत्रिक उपकरण का हाथ है जो अल्ट्रासोनिक या माइक्रोवेव ऊर्जा का उत्सर्जन करता है: इसमें एक हाईली स्पेशालाइल्जड बायोवेपनरी के जरिए रेडियोफ्रीक्वेंसी एनर्जी को व्यक्ति के कानों तक पहुंचाया जाता है जो कानों में मौजूद फ्लूड को माइक्रोबबल बनानेकी क्षमता रखती है. जब ये बबल खून के जरिए दिमाग तक जाते है तो इससे सूक्ष्म वायु एम्बोली की समस्या हो सकती है जिससे दिमाग की कोशिकाओं को डैमेज कर सकता है. ये डिंकप्रेशन बीमारी के समान है। (एक ऐसी बीमारी जो अमूमन गहरे समुद्र में गोताखोरों में देखी जाती है.)
इसे लेकर एक और थ्योरी ये भी है कि जब आपका मस्तिष्क सीधे तौर पर किसी रेडियोफ्रिक्वेंसी तरंगों के संपर्क में आता है, तो इससे मस्तिष्क के केमिकल और इलेक्ट्रिक एक्टिविटी बाधित होती है और इसके वजह से कुछ तंत्रिका तंत्र फिर स्थापित होने में थोड़ा समय लगाता है. मस्तिष्क में रिकनेक्ट प्रोग्राम की वजह से हो सकता है कि इस तरह के लक्षण दिखाई देते है.
हवाना सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है?
एमआरई (MRI) स्कैन के जरिए इसमें प्रभावित रोगियों की व्हाइट मैटर (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के हल्के ऊतक जिसमें मुख्य रूप से माइलिनेटेड तंत्रिका तंतुओं का समूह होता हैं) की तुलना स्वस्थ व्यक्तियों से की जाती है. जिसमें उनके मस्तिष्क की गतिविधि और संरचना में अंतर और बदलाव के बारे में आंकलन किया जाता है.
इसके अलावा इस गंभीर सिंड्रोम के इलाज में कई बार डॉक्टर, मेडिटेशन, आर्ट थेरेपी, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और एक्यूपंक्चर की सलाह भी देते हैं. इसके अलावा रिहैबिलिटेशन में किसी खास न्यूरोजिकल एक्सरसाइज के एक घंटे सेशन लेकर भी इस समस्या को दूर करने में मदद मिलती है.