भारत के ये 10 सबसे खूबसूरत मठ आपको ज़रूर देखने चाहिए!
भारत, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक व आध्यात्मिक विरासत के साथ, कई बौद्ध मठों का घर है. यह मठ भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और उनके ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं. देश भर में फैले ये मठ प्राचीन काल से ही शांति और ज्ञान के आश्रय स्थल के रूप में काम करते रहे हैं. आज हम आपको भारत में स्थित 10 प्रसिद्ध बौद्ध मठों की यात्रा पर ले चलेंगे.
नामग्याल मठ (हिमाचल प्रदेश):
हिमाचल प्रदेश की सुरम्य पहाड़ियों में बसा धर्मशाला अपने तिब्बती मठों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें नामग्याल मठ सबसे प्रमुख है. धर्मशाला के मैकलोडगंज में स्थित यह मठ दलाई लामा के निजी मठ के रूप में कार्य करता है, जो इसे भारत में तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाता है.
सारनाथ (उत्तर प्रदेश):
वाराणसी के पास स्थित, सारनाथ उस स्थान के रूप में अत्यधिक ऐतिहासिक महत्व रखता है जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था. धमेख स्तूप और मूलगंध कुटी विहार सारनाथ परिसर के भीतर उल्लेखनीय संरचनाएं हैं, जो तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करती हैं.
रुमटेक मठ (सिक्किम):
सिक्किम की राजधानी गंगटोक से 24 किलोमीटर की दूरी पर एक पहाड़ी पर स्थित, रुमटेक मठ तिब्बती वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है. यह न केवल एक बौद्ध बिहार है बल्कि तिब्बती बौद्ध धर्म के अध्ययन का केंद्र भी है. इस मठ में बहुमूल्य थंगा पेंटिग तथा बौद्ध धर्म के कग्यूपा संप्रदाय से संबंधित अनेक वस्तुएँ सुरक्षित अवस्था में रखी हुई है. इस मठ में सुबह के समय बौद्ध भिक्षुओं द्वारा की जाने वाली प्रार्थना बहुत ही कर्णप्रिय होती है.
तवांग मठ (अरुणाचल प्रदेश):
तवांग मठ, भारत के सबसे बड़े मठों में से एक, पूर्वी हिमालय में लगभग 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसका निर्माण लगभग 1680 के आसपास मेराक लामा लोद्रे ग्यास्तो ने करवाया था. यह मठ तीन मंजिला इमारत के रूप में है जिसके हर मंजिल की दीवारों को बौद्ध प्रतीकों के साथ चित्रित करते हुए निर्माण किया गया है. यह मठ आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सुंदरता का एक अनूठा मिश्रण पेश करता है.
हेमिस मठ (लद्दाख):
यह लद्दाख का सबसे प्रसिद्ध बौद्ध मठ है और देश का एक धरोहर स्थल भी है. सिन्धु नदी के किनारे शानदार पहाड़ों के बीच स्थित यह मठ भारत के सबसे धनी मठों में से एक है. यहां पर सोने और चांदी से बने स्तूपों के अलावा भगवान बुद्ध की एक शानदार तांबे की मूर्ति स्थापित है. इस मठ में तिब्बती शैली की शानदार वास्तुकला देखी जा सकती है.
सांची स्तूप (मध्य प्रदेश):
सांची, एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल व मौर्य काल के कई स्तूपों और मठों का घर है. यहां मौजूद ‘ग्रेट स्तूप’ भारत में मौजूद सबसे पुरानी शिला संरचना है जिसे सम्राट अशोक ने ईसा पूर्व तीसरी सदी में स्थापित किया था. यहाँ के स्तूप तोरणों से घिरे हैं जिनमें से प्रत्येक प्यार, शांति, विश्वास और साहस का परिचायक हैं.
फुकताल मठ (लद्दाख):
लद्दाख की दुर्गम पहाड़ियों में बना फुकताल मठ अपनी संरचना के लिए जाना जाता है क्योंकि इसकी संरचना शहद के छत्ते जैसी दिखती है. गुफाओं में छिपे इस मठ का इतिहास पच्चीस सौ साल से भी ज्यादा पुराना है. इस मठ में करीब 200 बौद्ध भिक्षु रहते हैं.
अजंता की गुफाएँ (महाराष्ट्र):
पारंपरिक मठ न होते, अजंता की गुफाएँ उत्कृष्ट बौद्ध चित्रों और मूर्तियों से सजी चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाओं की एक श्रृंखला हैं. दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की ये गुफाएँ प्राचीन भारतीय सभ्यता की कलात्मक और आध्यात्मिक उपलब्धियों का प्रमाण हैं. सह्याद्रि की पहाड़ियों पर स्थित इन 30 गुफाओं में लगभग 5 प्रार्थना भवन और 25 बौद्ध मठ हैं.
नामद्रोलिंग मठ (कर्नाटक):
स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मठ भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र है. यह तिब्बती बौद्ध धर्म की निंगमा परंपरा के सबसे बड़े शिक्षण केंद्रों में से एक है. इस मठ परिसर में तिब्बती संस्कृति और इतिहास से संबंधित विभिन्न कलाकृतियों और अवशेषों को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रहालय, साथ ही हस्तनिर्मित सामान और स्मृति चिन्ह बेचने वाला एक पारंपरिक तिब्बती बाजार भी शामिल है.
मिन्ड्रोलिंग मठ (देहरादून):
इस मठ का निर्माण 1676 में रिग्जिन टेरडक लिंगपा ने कराया था. यहां 107 फीट की ऊंचाई पर भगवान बुद्ध की मूर्ति स्थित है, जो भारत का सबसे ऊंचा स्तूप है. यहां लगभग 300 बौद्ध भिक्षु रहते हैं और यही वजह है कि यहां बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग भी अधिक संख्या में आते हैं.